जिन्दगी चलती रही,ख्वाब कुछ बुनती रही
कुछ पलों की छांव में,अपना सफ़र चुनती रही।
पैर में छाले पङे,पर न डगमग पांव थे
पथ के हर पत्थर में जैसे,शबनमों के बाग़ थे।
गरदिशों की चाह में,हर सफ़र है तय किया
हर मुश्किल का सामना,हर क़दम डट कर किया,
है तमन्ना अब के मंजिल,जिन्द़गी को मिल जाए,
और फिर हो सामना,खुद का,खुदी के आईने से........रोहित कुमार