रविवार, 26 जुलाई 2015

बहुत याद आते हो तूम

बहुत याद आते हो तूम



तेरा छुप -छुप के मुझसे आँखे चुराना याद आता है
मुझे गुजरा हुआ अपना जमाना याद आता है

जब मिले थे हम पहली बार हमारे घर के छत पे,
तेरा वो घबराना वो शरमाना सब याद आता है

छोटी -छोटी अदाओ से तुम चुराती रही मेरे दिल को
वो पल भर में हसाना पल भर में रूठ जाना याद आता है

कभी बाते बनाती थी कभी फोन पे ही रूठ जाती थीं,
वो रूठना वो मनाना बहुत याद आता हैं

हकीकत जानलेवा थी की एक दिन तू लौट जाएगी
पल भर में मेरा तुझसे बिछड़ना बहुत याद आता है रोहित कुमार ,,,