एक अनचाहा सा खाली पन , जब भी कुछ लम्हे ज़िन्दगी के सुकून से बिताने को मन करता है जो कुछ पाने कुछ खोने ,किसी को अपना बनाने ,किसी के होने का मन करता है ,बस एक साथी है जो मेरा हर समय मेरे सुख मेरे दुःख में रंग भरने का काम करता है वो है मेरी डायरी और उस का प्रेमी 'कलम " जब दोनों एक दुसरे से मिल जाते है तो बिछड़ने का नाम ही नहीं लेते है रोहित कुमार