शुक्रवार, 3 जून 2016

तुम्हारे पास... क्या है मेरे नाम का ?

तुम्हारे पास... क्या है मेरे नाम का ?



देह मेरी ,
हल्दी तुम्हारे नाम की ।
 हथेली मेरी ,
मेहंदी तुम्हारे नाम की ।
 सिर मेरा ,
चुनरी तुम्हारे नाम की ।
 मांग मेरी ,
सिन्दूर तुम्हारे नाम का ।
 माथा मेरा ,
बिंदिया तुम्हारे नाम की ।
 नाक मेरी ,
नथनी तुम्हारे नाम की ।
 गला मेरा ,
मंगलसूत्र तुम्हारे नाम का ।
 कलाई मेरी ,
चूड़ियाँ तुम्हारे नाम की ।
 पाँव मेरे ,
पायल तुम्हारे नाम की ।
 उंगलियाँ मेरी ,
बिछुए तुम्हारे नाम के ।
 बड़ों की चरण-वंदना
 मै करूँ ,
और 'सदा-सुहागन' का आशीष
 तुम्हारे नाम का ।
 और तो और -
करवाचौथ/बड़मावस के व्रत भी
 तुम्हारे नाम के ।
 यहाँ तक कि
 कोख मेरी/ खून मेरा/ दूध मेरा,
और बच्चा ?
बच्चा तुम्हारे नाम का ।
 घर के दरवाज़े पर लगी
'नेम-प्लेट' तुम्हारे नाम की ।
 और तो और -
मेरे अपने नाम के सम्मुख
 लिखा गोत्र भी मेरा नहीं,
तुम्हारे नाम का ।
 सब कुछ तो
 तुम्हारे नाम का... 
नम्रता से पूंछती हूँ?
आखिर तुम्हारे पास...
क्या है मेरे नाम का?रोहित कुमार की कलम से