मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

उस वक़्त मुझे याद करना तुम


जब साँझ की बेला हो और साथ दुखों का रेला हो,
उस वक़्त मुझे याद करना तुम, 
जब लगा लोगों का मेला हो फिर भी दिल अकेला हो,
उस वक़्त मुझे याद करना तुम, 
भोर की लाली के साथ खुशियाँ भी चूमे, तुम्हारी गलियों और घर की चौखट को,
उस वक़्त मुझे याद करना तुम, 
पर जब अंधकार फैला हो और ढेरों गमों का झमेला हो,
                            उस वक़्त मुझे याद करना तुम....==== रोहित कुमार !!.