शुक्रवार, 3 जून 2016

दिल के टूटने पर भी हंसना



दिल के टूटने पर भी हंसना
 शायद ' जिंदादिली ' इसी को कहते हैं।
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ठोकर लगने पर भी मंजिल तक भटकना
 शायद ' तलाश ' इसी को कहते हैं।
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किसी को चाहकर भी न पाना
 शायद ' चाहत' इसी को कहते हैं।
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टूटे खंडहर में बिना तेल के दिया जलाना
 शायद ' उम्मीद ' इसी को कहते हैं।
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गिर जाने पर फिर से खड़ा होना
 शायद ' हिम्मत ' इसी को कहते हैं।

ये हिम्मत , उम्मीद , चाहत , तलाश... शायद
                                           ' जिंदगी ' इसी को कहते हैं    रोहित कुमार की कलम से  |