माँ
मुझे ना दे जन्म ...
मैं यूँ मर मर के, जी ना पाउंगी
अच्छा होगा यदि तेरे कोख में ही मर जाउंगी !! :.....
माँ , जब चाहा पापा ने अपना गुस्सा तुझ पर उतारा
वजह- बेवजह तुझ को मारा !!
तू चुप कर के , जो सहती है , मैं सह ना पाउंगी
अच्छा होगा, यदि तेरे कोख में ही मर जाउंगी !! :.....
माँ, जब तू ऑफिस से आने में दो घंटे लेट हो जाती है
घर पर सब का पारा गर्म हो जाता है
हजारों अनचाहे सवालों का जन्म हो जाता है
तू जिन सवालों को सुलझाती है , मै सुलझा ना पाउंगी
अच्छा होगा , यदि तेरे कोख में ही मर जाउंगी !! :.....
माँ , गैर मर्दों की आँखों में , तेरा वहशियत को पढना
रात में, सडक पर तेरा, तेज क़दमों से चलना
तू जितना डर कर चली है , मैं चल ना पाउंगी
अच्छा होगा, यदि तेरे कोख में ही मर जाउंगी !! .....
माँ कहने को तो सांस लेने का अधिकार है तुझे
पर किसे पता है , कितना कर्ज दिल पर रख कर, तू मुस्कराती है ?
अपनों का भविष्य बनाते बनाते, खुद मिट जाती है !!
तुने खोया अपना वजूद , मै खुद को खो ना पाउंगी !
मुझे ना दे जन्म ...
मैं यूँ मर मर के, जी ना पाउंगी
अच्छा होगा यदि तेरे कोख में ही मर जाउंगी !! :.....
माँ , जब चाहा पापा ने अपना गुस्सा तुझ पर उतारा
वजह- बेवजह तुझ को मारा !!
तू चुप कर के , जो सहती है , मैं सह ना पाउंगी
अच्छा होगा, यदि तेरे कोख में ही मर जाउंगी !! :.....
माँ, जब तू ऑफिस से आने में दो घंटे लेट हो जाती है
घर पर सब का पारा गर्म हो जाता है
हजारों अनचाहे सवालों का जन्म हो जाता है
तू जिन सवालों को सुलझाती है , मै सुलझा ना पाउंगी
अच्छा होगा , यदि तेरे कोख में ही मर जाउंगी !! :.....
माँ , गैर मर्दों की आँखों में , तेरा वहशियत को पढना
रात में, सडक पर तेरा, तेज क़दमों से चलना
तू जितना डर कर चली है , मैं चल ना पाउंगी
अच्छा होगा, यदि तेरे कोख में ही मर जाउंगी !! .....
माँ कहने को तो सांस लेने का अधिकार है तुझे
पर किसे पता है , कितना कर्ज दिल पर रख कर, तू मुस्कराती है ?
अपनों का भविष्य बनाते बनाते, खुद मिट जाती है !!
तुने खोया अपना वजूद , मै खुद को खो ना पाउंगी !
अच्छा होगा, यदि तेरे कोख में ही मर जाउंगी !!.....
माँ, मैंने देखा है, हर बार तुझे ...अपने मन को मारते हुए
अपनों के हाथों ही हारतें हुए !!
हर कदम पर समाज-घर वालों का.. तुझे टोकते हुए !
अपनी हर इच्छाओं को, खुद से रोकतें हुए !!
मैंने देखा है तुझे ...
अपने सपनों को खोते हुए ,
अपनों के हाथों ही हारतें हुए !!
हर कदम पर समाज-घर वालों का.. तुझे टोकते हुए !
अपनी हर इच्छाओं को, खुद से रोकतें हुए !!
मैंने देखा है तुझे ...
अपने सपनों को खोते हुए ,
अक्सर छुप छुप कर रोते हुए,
"औरत होने का एक अनचाहा बोझ ढोतें हुए"
तू जितना डर कर जी ली है, मै जी ना पाउंगी
अच्छा होगा , यदि तेरे कोख में ही मर जाउंगी !!...!!--रोहित कुमार--!
"औरत होने का एक अनचाहा बोझ ढोतें हुए"
तू जितना डर कर जी ली है, मै जी ना पाउंगी
अच्छा होगा , यदि तेरे कोख में ही मर जाउंगी !!...!!--रोहित कुमार--!