जो कलम की कोख में आंशुओ को पिरोता
अंधेरो की आशा जीवन को ढोता.
काले अक्षरों में रौशनी की बात
कोमल कल्पनाये और भावनाओ का जजबात
रात की तन्हाई दर्द की पुरवाई
मिलन की रुसवाई और अपनों की जुदाई
हकीकत जिंदगी में गुलजार
जब सपनों का व्यापार
कोई जब कल्पना को पालता
दिल के दर्द को शब्दों में ढालता
तब फूट पड़ती है एक कविता
जब अंत :ह्रदय में यादो का संचार
तब दर्द में डूबी एक कविता का श्रींगार !
: रोहित कुमार की कलम से;